मल मल धोए शरीर : दोस्तों आध्यात्मिक दर्शन में कबीरदास का नाम सबसे ऊपर है. उनके दोहे सभी पाखंड को चकनाचूर कर देते हे. दोस्तों आज आपके लिए कबीरदास के दोहे लेके आये है जो आपके जीवन को बदलने में सार्थक होंगे।
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मल मल धोए शरीर | Kabir das ke Hohe Hindi
मल मल धोए शरीर को, धोऐ ना मन का मैल।
नहाए गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।।
कबीरदास कहते है लोग अपने शरीर को तो बहुत अच्छी तरह से साफ करते है, लेकिन मन के मैल की सफाई नहीं करते है, वे गंगा और गोमती जैसे नदीमें नहाकर खुद को पवित्र मानते है, लेकिन वे मुर्ख ही रहते है….
इस दोहे के माध्यम से हमे ये सीख मिलती हे की जैसे हम हमारे शरीर को स्वच्छ रखते हे वैसे ही अपने मन को भी स्वच्छ रखकर बुरे विचार, काम, क्रोध, लोभ, मोह का त्याग करना हे.
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