Ek Mohabatt : एक मासूम सी मोहबत्त हमे इतना तड़पाती हे की हम उस शख़्स के बगैर रह नहीं सकते। जब हम उससे दूर हो जाते हे तब रो रो कर हम ज़िन्दगी गुजारते है.
ऐसी ही दर्द भरी शायरी लेके हम आये हे जिसको आप व्हाट्सप्प और फेसबुक पर शेर कर सकते हो.
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Ek Mohabatt Masum Si | Pyar Bhari Mohabbat
कितना मासूम सा लगता है लफ्ज़ मोहब्बत,
और इस लफ्ज़ से मिलती हैं सज़ाएं कितनी…
ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी खातिर,
तुझसे फासला भी शायद उनकी बद्दुआओं का असर है…
कभी-कभी नए लोग
पुराने से बेहतर मिल जाते हैं!!
रात भर जागते हैं उस शख्स के लिए,
इतने दिन के उजाले में भी हमारा ख्याल नहीं है…
अपनी यादों के क़ाफ़िले से कहो ..
मेरी नींदों की राह से ना गुज़रा करे ..!!
ऐसे ही नहीं तुम्हारा सफर आसान हो गया
हमने दिल को जलाकर तुम्हें मंजिल दिखाई थी…
सुनो बहुत दिन हो गए हैं यार अब चलते चलते
सफर मोहब्बत का ना होता तो हम मंजिल ही छोड़ देते…
तुम मेरी ज़िंदगी की आखिरी चाहत हो,
इसे चाहे मैं मर के ही क्यों ना,,
पर हासिल करके रहूंगा!!
खुदा जाने कौन सा…
वास्ता है तुमसे,
हजारों अपने हैं पर याद
सिर्फ तुम्हारी ही आती हैं…
वह जानते हैं कि हम टूट जाएंगे
उनके बिना
फिर भी वह हमें बार-बार आजमाते हैं
बिछड़ बिछड़ कर!!
Ek Mohabatt
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